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अनुभूति में देवल आशीष की रचनाएँ-

गीतों में-
एक बार जीवन में
गीत बन गया
टूटे हैं बंध सारे

पत्थर का देवता है
प्रिये तुम्हारी सुधि को
ये जीवन तुम्हारा
लौट आए

 

ये जीवन तुम्हारा

रतन के लिये है, न धन के लिये है
ये जीवन तुम्हारा
भजन के लिये है

तुम्हीं के घुटन दी, तुम्हीं ने उबारा
तुम्हीं से भँवर है, तुम्हीं से किनारा
कुछ ऐसा है संयोग हमसे तुम्हारा
मदिर गंध जैसे सुमन के लिये है

बस इक नाम निशदिन लिये जा रहे हैं
तुम्हारी कृपा से जिये जा रहे हैं
विचारों को शीतल किये जा रहे हैं
बनी देह यूँ तो
दहन के लिये है

जो टूटे हुए कुछ सितारे दिये हैं
हमें आँसुओं के जो धारे दिये हैं
तुम्हें दे रहे हैं-तुम्हारे दिये हैं
नयन का ये जल
आचमन के लिये है

१० जून २०१३

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