अनुभूति में
देवल
आशीष की रचनाएँ-
गीतों में-
एक बार जीवन में
गीत बन गया
टूटे
हैं बंध सारे
पत्थर का देवता है
प्रिये
तुम्हारी सुधि को
ये जीवन
तुम्हारा
लौट आए
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प्रिये तुम्हारी
सुधि को
प्रिये,
तुम्हारी सुधि को मैंने,
यूँ भी अक्सर चूम लिया
तुम पर गीत लिखा, फिर उसका,
अक्षर- अक्षर चूम लिया
मैं क्या जानूँ मंदिर-मस्जिद,
गिरजा या गुरुद्वारा
जिनपर पहली बार दिखा था,
अल्हड़ रूप तुम्हारा
मैंने उन पावन राहों का,
पत्थर-पत्थर चूम लिया
हम तुम उतनी दूर धरा से,
नभ की जितनी दूरी
फिर भी हमने साध मिलन की,
पल में कर ली पूरी
मैंने धरती को दुलराया,
तुमने अम्बर चूम लिया
१० जून २०१३
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