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अनुभूति में मधुकर गौड़ की रचनाएँ-

गीतों में-
अग्निपथ
उजले उजले लोग
द्वंद्व ही द्वंद्व
दिनमान बदल
फूल, दर्द और आँसू

 

द्वन्द्व ही द्वन्द्व

द्वन्द ही द्वन्द बेसुरा छंद है
आदमी दिन ब दिन क्यों नहीं आदमी

आचरण मन विचारों के दूषित हुए
सत्य, अपराधियों में क्यों घोषित हुए
साख गिरने लगी क्यूँ है विश्वास की
चोरियाँ हो रहीं देखो मधुमास की

गाँव, घर में गली और परिवार में
प्यार की दिन ब दिन हो रही है कमी
आदमी दिन ब दिन क्यों नहीं आदमी

बेहयाई दिलों की मेहमान क्यों है
गुम हुआ जंगलों में इंसान क्यों है
राजसी ठाठ में खुश है गद्दारियाँ
आस्था से विलग मन का ईमान है

क्या करें बादलों से शिकायत भला
नेह की आँख से झर रही है नमी
आदमी दिन ब दिन क्यों नहीं आदमी

३० मार्च २०१५

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