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अनुभूति में संतोष कुमार सिंह की रचनाएँ —

नए गीत
चलें यहाँ से दूर
जग यूँ दीख रहा
फिर कैसे दूरी हो पाए
मन जुही सा
रूठ गई मुस्कान

गीतों में
अपना छोटा गाँव रे
इस देश को उबारें
ऐसी हवा चले
गाँव की यादें
जा रहा था एक दिन
धरती स्वर्ग दिखाई दे
नारी जागरण गीत
मीत मेरे
ये बादल क्यों रूठे हैं
श्रमिक-शक्ति

सोचते ही सोचते

शिशु गीतों में-
डॉक्टर बंदर
भालू
सूरज
हिरण

संकलन में
ममतामयी-माँ

  डाक्टर बंदर

एक शेर बीमार पड़ा
घबराता दिल पड़ा-पड़ा
जब शिकार को जाता था
दौड़ न बिल्कुल पाता था

दिल करता था धक-धक-धक
हृदय रोग का होता शक
किसी ने जाकर बात बताई
बंदर देता वहाँ दवाई

चला शेर भी आज वहाँ
बंदर बाँटे दवा जहाँ
बैठा बंदर पहने सूट
गले में टाई, पग में बूट

आला उसके लटक रहा
काजू, किशमिश गटक रहा
पहुँचा शेर तभी उस द्वार
बंदर को चढ़ गया बुखार

24 मई 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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