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अनुभूति में सरिता शर्मा की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ पलों के लिये
ओस गिरती है उदासी की
तन की सीपी
बेटी
मैं पिघलती बर्फ की चट्टान
रात का आकाश


सवैये में-
मीरा


मुक्तक में-
बीस मुक्तक

दोहों में-
दर्द के दोहे
प्रेम के दोहे
भक्ति के दोहे
वैराग्य के दोहे

संकलन में-
होली है- आए ऋतुराज

शुभ दीपावली- दीप
शुभ दीपावली- माटी के दीपक

 

रात का आकाश

रात का आकाश तारों से भरा है
किन्तु मेरा एक भी
तारा नही है!

तुम गए
जिस पल उसी पल में थमी हूँ
मैं समय की आँख में उतरी नमी हूँ
बाँध गठरी ला सके बीते दिनों की
क्या कहीं कोई वो
बंजारा नही है!

सृष्टि क्या
केवल क्षरण की भूमिका है
जन्म क्या केवल मरण की भूमिका है
श्वास हर पल पाश होती जा रही है
और जीवन से बड़ी
कारा नही है!

१ जून २००५

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