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अनुभूति में शशिकान्त गीते की रचनाएँ-

ई रचनाओं में-
इक राजा था, इक रानी थी
महानगर
मुए केंचुए
रूप रस गंधों वाले दिन
स्लेट लिखे शब्दों के

दोहों में-
असली मंजिल दूर है

गीतों में-
आसमान गुमसुम रहता है
एक टिमटिम लौ
एक टुकड़ा धूप
कम्प्यूटर रोबोट
ताँगे वाला घोड़ा
दूर अभी मंजिल है
फूलों की घाटी मे
भैंस सुनती बाँसुरी
मन माँगे ठौर
रोटी से ऐटम-बम प्यारा
समय को नाथ!

संकलन में-
चंपा- चंपा कुछ हाइकु

गंगा- धार समय की
ममतामयी- अम्मा चली गई
         माँ के सपने
रक्षाबंधन- राखी धागा सूत का
वर्षा मंगल- बूँदों ने क्या छुआ देह को
हरसिंगार- पारिजात के फूल
         हाइकु
होली है- मस्ती के फाग

  मुए केंचुए

बदला मौसम नई हवाएँ
कैसे-कैसे रोग

मंदिर-मस्जिद अगड़े-पिछड़े
रोज-रोज के बलवे-झगड़े
रोटी कहीं छिपी दम साधे
भूखे दुर्बल लोग

पृथक प्रदेश देश के नारे
नक्सल, आतंकी बंजारे
संकट विकट कोढ़ खुजली का
प्राणांतक संजोग

वादे करते स्वप्न बाँटते
प्रश्न घेरते थूक चाटते
मुए केंचुए खूब जानते
शब्दों का उपयोग

९ मार्च २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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