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अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

  बादल ने धरती से तोड़े

बादल ने धरती से तोड़े
ऐसे क्यों अनुबन्ध
दादुर टेर मोर मस्ती के
टूट गये उपबन्ध

सेमल टेसू धूप चिलचिली
धरती अब अकुलाई
नयी कोंपलें उम्मीदे लें
देखो सब कुम्हलाई
सूखा कहीं घोर वर्षा से
टूट गये तटबन्ध

चींटी चुटकी आटा देकर
दादी शगुन मनाए
सावन के झूले में मुनियां
झूला कौन झुलाए
सूखे धान किसानी कर्जा
कैसे करे प्रबन्ध

धूप छानकर बादल लाते
खेतों में हरियाली
अम्बर से हो अमृत वर्षा
हर घर में खुशहाली
झूम झूम कर धानी धरती
लिखती नये निबन्ध

१५ सितंबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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