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अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

  भारती उठ जाग रे

है कहां निद्रित अलस से
स्वप्न लोचन जाग रे !
प्रगति प्राची से पुकारे
भारती उठ जाग रे !

मलय चन्दन सुरभि नासा
नित नया उत्साह लाती
अरूणिमा हिम चोटियों से
पुष्प जीवन के खिलाती

कोटिश: पग मग बढ़े हैं
रंग विविध ले हाथ रे !
भारती उठ जाग रे !

ज्ञान की पावन पुनीता
पुण्य सलिला बह रही
आदि से अध्यात्म गंगा
सुन तुझे क्या कह रही
विश्व है कौटुम्ब जिसका
चरण रज ले माथ रे!
भारती उठ जाग रे !

नदी निर्झर वन सुमन सब
वाट तेरी जोहते
ध्वनित कलकल नीर चँचल
मृगेन्द्रित मन मोहते !
कोटिश: कर साथ तेरे
अनृत झुलसा आग रे !
भारती उठ जाग रे !

१५ सितंबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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