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अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

  मृत्यु की पदचाप

मृत्यु की पदचाप सुनता जा रहा हूँ
कौन हो कैसे नहीं मैं जानता हूँ
किन्तु एक अभिनव महा उत्साह से
मैं आ रहा हूँ
मृत्यु की पदचाप सुनता जा रहा हूँ


धूल जाने चरण किसके छू मेरे माथे लगी
अतुल अनजानी अनल से वसन सारे जल गये
थी मलिन बस्ती डगर पा आज
तुम तक आ रहा हूँ
मृत्यु की पदचाप सुनता जा रहा हूँ

स्रष्टि का अविचल महामंडल घिरा प्रतिछोर से
दिव्य आभालोक मण्डित चकित हूं चहुंओर से
सत्य सलिला सरित तट पर
लो ... आज मैं भी आ रहा हूं
मृत्यु की पदचाप सुनता जा रहा हूँ

शून्य में पग चिन्ह फिरता खोजता
गहन गह्‍वर तमस में अनभिज्ञ धुंधले मार्ग पर
ओ बटोही अनत अंतस के सुनो
निसर्ग चलना ही पथिक का धर्म
चलता जा रहा हूँ
अव्यक्‍त मेरे युग बटोही ठहर
मैं भी आ रहा हूँ

१५ सितंबर २०१५

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