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अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

  गीत गुनगुना मन

सतत शून्य सन्नाटा चहुँदिश
क्यों चुप बैठा मन
कठिन तमस भी कट जायेगा
गीत गुनगुना मन

माना लहरें भँवर भयंकर
धीरज नैया डोले
आशा की पतवार उठा ले
माझी साहस तोले
वैचारिक झंझावातों से
हार न बैठो मन
गीत गुनगुना मन

थक कर चकनाचूर है फिर भी
बैठ न आँखे मीचे
अविचल नियम प्रकृति का निशि दिन
चलते आगे पीछे
कहीं 'नित्य' का रथ रूकता है
सोच विहंस मेरे मन
गीत गुनगुना मन

तारे घटा टोप में डूबे
'शशि' मेघों ने घेरा
घनीभूत नैराश्य हो चला
मन में डाले डेरा
'पौरुष' को ललकार 'कान्त' कर
नभ से प्रकट 'तडित' मन
गीत गुनगुना मन

१५ सितंबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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