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अनुभूति में सुधांशु उपाध्याय की रचनाएँ— 

ई रचनाओं में-
आधी रात
जो है होनेवाला
फोटो के बाहर चिड़िया
सपना रखना

गीतों में-
आने वाले कल पर सोचो
औरत खुलती है
कथा कहें
कमीज़ के नीचे
काशी की गलिया
ख्वाबों के नए मेघ
खुसरो नहीं गुज़रती रैन
जीने के भी कई बहाने
दरी बिछाकर बैठे
नींद में जंगल
पोरस पड़ा घायल
बात से आगे

हुसैन के घोड़े

 

बात से आगे

आज अचानक उचटा मन ये
त्योहारों तक आया है,
बादल चलकर बिजली के
नंगे तारों तक आया है।

ढेरों यादें पानी पर की
फूल सरीखे बहती हैं
भित्ति-चित्र की आदिम लिपियाँ
जाने क्या-क्या कहती हैं
सदियों का
यों धुँधला दर्पण
शृंगारों तक आया है।

ये मौसम की बात नहीं
कुछ उससे ज़्यादा है
बोझ उतर जाने पर जैसे
दुखता काँधा है
बजती नहीं साँकलें जिनकी
हाथ हमारा अलसाए उन
घर-द्वारों तक आया है।

गाने लगा नदी का पानी
लहरें बजती हैं
मछली के कुनबे में कोई
हलचल जगती है
सागर ओढ़
भाप की चादर
बौछारों तक आया है।

सोए राग छेड़कर कोई
कब तक सोएगा
किसी नींद के टुकड़े में
वह सपने बोएगा
साथ हमारी
बात से आगे
व्यवहारों तक आया है।

९ जून २००७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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