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अनुभूति में सुधांशु उपाध्याय की रचनाएँ— 

ई रचनाओं में-
आधी रात
जो है होनेवाला
फोटो के बाहर चिड़िया
सपना रखना

गीतों में-
आने वाले कल पर सोचो
औरत खुलती है
कथा कहें
कमीज़ के नीचे
काशी की गलिया
ख्वाबों के नए मेघ
खुसरो नहीं गुज़रती रैन
जीने के भी कई बहाने
दरी बिछाकर बैठे
नींद में जंगल
पोरस पड़ा घायल
बात से आगे

हुसैन के घोड़े

 

हुसैन के घोड़े

भाग रही हैं साँसें
या हंसों के जोड़े भाग रहे,
तस्वीरों से उछल हुसैन के-
घोड़े भाग रहे।

हर लमहे में नदी टूटती
दूर गगन में तारे
ठंडी भोर
उबलता पानी
छूने लगा किनारे
आस्तीन ऊपर तक बादल
मोड़े भाग रहे!

देवदार को आँधी के
आने की ख़बरें हैं
छप्पन छुरी-
जानकी बाई
गाने की ख़बरें हैं
दुहरे होते पेड़, हवा के
कोड़े भाग रहे!

संथालों की सोई बस्ती
जलती हुई मशालें हैं
और तांबई पिंडलियाँ
साँपों के
हुई हवाले हैं
चंपावन में आग लगी है, फूल
भगोड़े भाग रहे!

९ जून २००७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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