| अनुभूति में अशोक चक्रधर की रचनाएँ- 
                  नई रचनाएँ- कम से कम
 कौन है ये जैनी
 तो क्या यहीं?
 नया आदमी
 फिर तो
 बौड़म जी बस में
 ससुर जी उवाच
 सिक्के की औक़ात
 होली में-होरी सर र र
 कविताओं में-बहुत पहले से भी बहुत पहले
 हास्य व्यंग्य में-गति का कसूर
 ग़रीबदास का शून्य
 जंगल गाथा
 तमाशा
 समंदर की उम्र
 हँसना रोना
 हम तो करेंगे
 और एक पत्र - फ़ोटो सहित
 स्तंभ-समस्यापूर्ति
 संकलन में-नया साल-सुविचार
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हँसना-रोना जो रोयासो आँसुओं के दलदल में
 धँस गया,
 और कहते हैं
 जो हँस गया वो फँस गया।
 अगर फँस गया
 तो मुहावरा आगे बढ़ता है
 कि जो हँस गया,
 उसका घर बस गया।
 मुहावरा फिर आगे बढ़ता है
 जिसका घर बस गया,
 वो फँस गया!
 और जो फँस गया,
 वो आँसुओं के दलदल में
 धँस गया!!
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