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                  अनुभूति में अशोक चक्रधर की रचनाएँ- 
                  नई रचनाएँ-  
                  
                  कम से कम 
                  कौन है ये जैनी 
                  तो क्या यहीं? 
                  नया आदमी 
                  फिर तो 
                  बौड़म जी बस में 
                  ससुर जी उवाच 
                  सिक्के की औक़ात 
                  होली में- 
                  होरी सर र र   
                  कविताओं में- 
बहुत पहले से भी बहुत पहले 
                   
                  हास्य व्यंग्य में- 
गति का कसूर 
                  ग़रीबदास का शून्य 
                  जंगल गाथा 
                  तमाशा 
                  समंदर की उम्र 
                  हँसना रोना 
                  हम तो करेंगे 
                  और एक पत्र - फ़ोटो सहित  
                   
                  स्तंभ- 
समस्यापूर्ति
                  
                   
                  संकलन में- 
                  नया साल-सुविचार  | 
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समंदर की उम्र  
लहर ने समंदर से 
उसकी उम्र पूछी 
समंदर मुस्करा दिया 
लेकिन जब बूँद ने 
लहर से उसकी उम्र पूछी 
तो लहर बिगड़ गई 
कुढ़ गई चिढ़ गई 
बूँद के ऊपर ही चढ़ गई  
और. . .मर गई! 
बूँद समंदर में समा गई  
और. . .समंदर की उम्र बढ़ा गई!    
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