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रंगः चार क्षणिकाएँ
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कविताओं मेँ-
आग का लगना
कविता
पिच का कमाल
समय

 

 

रंग- चार क्षणिकाएँ

एक

नेता जी
संगत
रंग, लाने लगी
मंगेतर
नर्सिंग होम
आने जाने लगी।

दो

उनका वक्तव्य
रंग लाया,
विरोधियों का
चेहरा तमतमाया।

तीन

उनका रंग-ढंग
रंग लाया,
लोगों ने -
जीभर रंग लगाया।

चार

रंग डालने का
इससे अच्छा अवसर
कभी नहीं आता,
होली में
जो भी आता
गाल, लाल कर जाता।

1 अप्रैल 2007

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