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अनुभूति में अजंता शर्मा की रचनाएँ

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उत्प्रेरक

मेरी मुट्ठी का सागर
सींच सकता है किसी का जीवन मरु,
हाँ!
अब तुम मेरे पास हो,
कदमों का संबल हो तुम,
शब्दों की सार्थकता हो,
क्षण-क्षण का मापदंड तुम,
मेरे कंठ की गुणवत्ता हो तुम,
हाथों की लकीरें प्रवाहित हैं तुम्हीं से
तुम्हीं हो
जो विचारों के क्षितिज तक
समाहित है मुझमें।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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