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अनुभूति में मन दलाल की रचनाएँ-

गीतों में-
एक बंजारापन
कान्हा का हर रास अनय है
जीवन
तेरी सदा से सम्पदा है
प्रीत के तार लगाए

 

 

 

जीवन

जीवन तेरा
जीवन मेरा
इसका कौन चितेरा ?

संघर्षो की बेला है
दुःख और सुख का खेला है
कभी चला हैं साथ तुम्हारे
कभी अकेला मेला है
क्षण
क्षण
हर क्षण
रोया ये मन
बनकर संत कबीरा…

निश्छल जल सा
ये अविरल सा
बहता जाये कलकल...
झरता जाए पल पल
कभी झरनों से
कभी नयनों से
प्राणो की अपनी ही व्यथा है
'झर' जाना जीवन की प्रथा है
किसी के हैं अनुबंध बरस के
कोई क्षणभर ठहरा…

८ जुलाई २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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