अनुभूति में
अमन
दलाल की
रचनाएँ- गीतों में-
एक बंजारापन
कान्हा का हर रास अनय है
जीवन
तेरी सदा से सम्पदा है
प्रीत के तार लगाए
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कान्हा का हर
रास अनय है
कान्हा का हर रास अनय है
जीवन का परिभास
अनय है।
एक बाती सगुण-निर्गुण ने जलाई
ज्योति अखण्ड धरा पर आई
जो होना था वो न था हुआ
हुआ कभी जो न था हुआ
क्षण को जैसे पृथ्वी थर्रायी
उस रात हुई सूरज अगुवाई
सूरज का ये उजास
अनय है
अभिनन्दन अतुल ऐसा अनोखा
मूर्छित हुआ वो आँख भर जिसने देखा
वसुदेव निकले तब कारागर से
यमुना स्वयं आचमन को तरसे
नभ से मिली धरा एक क्षण को
छुए चरण जब उसने अधर से
इस व्याकरण मे समास
अनय है
एक धुरी का दूजे में निरूपण
मोहन पहुँचे जब वृन्दावन
चित्त यशोदा का हरने
घर नन्द के आनंद भरने
कान्हा का निर्माण नियत हो
सारे युग का त्राण नियत हो
सबका ये अभिलाष
अनय है
८ जुलाई २०१३ |