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अनुभूति में गौतम जोशी की रचनाएँ

अलग मंज़िलें
खेल आया हूँ
बचपन
बस तुझे चाहती हूँ
मलाल करते हैं
सरकारी

 

बस तुझे चाहती हूँ

कहना, सुनना और फिर से चहकना चाहती हूँ
मेरा वजूद तू है, तुझको फिर ढूँढ़ना चाहती हूँ

कितनी गहराई थी उन मासूम आँखों में
बस, फिर उस एक नज़र की होना चाहती हूँ

उसकी हर एक रात का सपना थी मैं
फिर उन्हीं रातों मैं खोना चाहती हूँ

अपने न होने का भी गुमां था मुझको
बस, उसी एक वजूद को पाना चाहती हूँ

जिसकी साँसों में घुलकर ताबीर हो जाती थी
उन धड़कनों में फिर से बसना चाहती हूँ

मुझ जैसा वो है और उस जैसी मैं
बस, उसी के असर में जीना चाहती हूँ

9 जून 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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