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अनुभूति में गौतम जोशी की रचनाएँ

अलग मंज़िलें
खेल आया हूँ
बचपन
बस तुझे चाहती हूँ
मलाल करते हैं
सरकारी

 

मलाल करते हैं

हमारी बातों पर लोग एतराज़ करते हैं
बहुत बड़े अदाकार हैं मज़ाक करते हैं

हर आदमी में छुपी हैं ढेरों कहानियाँ
लोग फिर भी तन्हाइयों का इज़हार करते हैं

कहीं तो फिक्र नहीं रहती घंटों की
कहीं पे लम्हों का हिसाब करते हैं

लोगों को अपनी नासमझी पर नाज़ है
खाली पड़े कनस्तर हैं, आवाज़ करते हैं

खुदा बनाने की तो अब हद हो गई
ठोकर खाते पत्थरों को आबाद करते हैं

दुनिया में जूझने की ताकत ही नहीं बची
बीच रास्तों से लौटकर मलाल करते हैं

9 जून 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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