अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सुदेषणा रूहान की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इक रिश्ते का घर
परिक्रमा
मुझे क्षमा करना
यात्रा
सत्य

 

यात्रा

किस यात्रा का सुख अनुपम है,
वो जो तुमने किया गतिमान होकर,
या वो गति जो सदा बही तुम्हारे अन्दर,
जिसने बनाया तुम्हे बहुत कठोर
निर्मम।
और पाषाण

देखो
इस निर्ममता के साथ,
तुम कितने जीवंत लगते हो,
जैसे हर पीड़ा का सौंदर्य
संभव है एक स्पर्श से।
केवल तुमसे...

कुछ चिन्हों को देखना
ययाति की याद दिलाते हैं।
चिर्युवा का आशीष था उसे।

मेरे मन पर तुम्हारा घाव भी
दीर्घायु है वैसे ही

३ जून २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter