अनुभूति में
सुदेषणा रूहान
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
इक रिश्ते का घर
परिक्रमा
मुझे क्षमा करना
यात्रा
सत्य
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यात्रा
किस यात्रा का सुख अनुपम है,
वो जो तुमने किया गतिमान होकर,
या वो गति जो सदा बही तुम्हारे अन्दर,
जिसने बनाया तुम्हे बहुत कठोर
निर्मम।
और पाषाण
देखो
इस निर्ममता के साथ,
तुम कितने जीवंत लगते हो,
जैसे हर पीड़ा का सौंदर्य
संभव है एक स्पर्श से।
केवल तुमसे...
कुछ चिन्हों को देखना
ययाति की याद दिलाते हैं।
चिर्युवा का आशीष था उसे।
मेरे मन पर तुम्हारा घाव भी
दीर्घायु है वैसे ही
३ जून २०१३
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