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बंजरों में बहार

बंजरों में बहार कैसे हो
ऐसे मौसम में प्यार कैसे हो

ज़िंदगी जेठ का महीना है
इसमें रिमझिम फुहार कैसे हो

कोई वादा कोई उमीद तो हो
बेसबब इंतज़ार कैसे हो

आप बोलें तो फूल झरते हैं
आपका ऐतबार कैसे हो

जिनका सबकुछ इसी किनारे है
ये नदी उनसे पार कैसे हो

अगस्त २०१०

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