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अनुभूति में सत्येश भंडारी की
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संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-
क्यों कि आज दिवाली है

 

एक क्रांति का अंत

पीपल के एक
सूखे हुए पत्ते ने
छोटे से
पत्थर के टुकड़े की
आड़ में से
तूफान की हवाओं के साथ
उड़ने से मना कर दिया।
गुस्साई हवाओं ने
पत्थर के टुड़े के सहित
उसे उड़ा कर
नीम की सड़ी हुई
पत्तियों के ढेर के
बीचो बीच लाकर पटक दिया।
इस तरह
एक क्रांति के
शुरू होने से पहले ही
उसका अंत हो गया।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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