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अनुभूति में सत्येश भंडारी की
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संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-
क्यों कि आज दिवाली है

 

इंटरनेट पर शादी

कनाडा के मेल का,
मुंबई की फीमेल से,
ई-मेल के जरिये,
बेमेल मेल हो गया।
देखते देखते खेल हो गया।

कल शाम मेरे पड़ौसी की लड़की,
मेरे घर आई और बोली,
अंकल जी, कल आप
घर में ही रहिये,
कहीं जाइये मत,
मेरी शादी है।

न बाजे गाजों का शोरगुल,
न रिश्तेदारों की हलचल,
न ढोलक की थाप,
न मेहंदी की छाप।
और अभी तो शादी का
मौसम भी नहीं है।
वो बोली,
शादी इंटरनेट पर है।

पानी में शादी,
हवा में शादी तो सुनी थी,
मगर इंटरनेट पर शादी?
बड़ा अजीब लगा सुनकर।
कैसे हुआ यह सब?

ई मेल से परिचय हुआ,
चाट रूम में रोमांस बढ़ा,
अब डबल्यू डबल्यू डबल्यू,
मेरिज डॉट काम पर शादी है।
ई पंडित मंत्रोच्चार करेंगे, और
आप जैसे दर्शक आशीर्वाद देंगे।

पड़ौसी की लड़की थी,
समझाना धर्म था, बोला
देखो! इस तरह के
कमप्यूटर प्रेम में बड़ा खतरा है।
ई मेल के जरिये
बड़े बड़े वाइरस आते हैं।
तुम्हारे प्यार की डिस्क
क्रैश हो जाएगी, और
रोमांस का पैकअप हो जाएगा।
वो बोली,
परवाह नहीं, अंकल!
मेरे पास सॉलिड बैकअप है।
प्यार का सॉफ्टवेयर
फिर लोड कर लूँगी।

समझाना बेकार था, बोला
अच्छा बताओ,
मुझे क्या करना है?
बोली, कुछ नहीं अंकल,
कल बस घर में रहना है।
शाम को छह सात के बीच
इंटरनेट खुला रखना है।
मेरी शादी वाली साइट पर
मुझे और केन को
माउस घुमाकर
शादी के फेरे लेते देखना है।
और, जब शादी हो जाए तब
शगुन के रूप में
अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर
बताई जगह पर भरना है।

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