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                   अनुभूति में
					विक्रम पुरोहित की रचनाएँ- 
					छंदमुक्त 
					में- 
					औघड़ 
					कविता बचती है 
					खामोशी 
					दो कबूतर 
					बचपन 
					छोटी कविताओं 
					में- 
					पाँच छोटी कविताएँ  | 
                
     
                 | 
                
					 खामोशी 
					 
					कभी  
					खामोशी भी  
					कह जाती कही अधिक , 
					अंतर्मन के साज़ से  
					निकलने वाली  
					सुर-लहरियों से ! 
					 
					जैसे सागर के  
					ह्रदय से उठने वाली  
					मौन लहरें  
					देती आभास  
					मधुर संगीत सा 
					 
					२ जनवरी २०११  |