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अनुभूति में पवन प्रताप सिंह पवन की रचनाएँ-

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वर्षा मंगल- वर्षा आई

ये पगडंडियाँ

जाने कहाँ कहाँ ये चलकर
जातीं हैं पगडंडियाँ।

खेतों में खलिहानों में,
या तन की दूकानों में,
मुड़ जाती हैं या फिर ये,
यौवन के बागानों में।

जहाँ सोच ले जाय तुम्हारी,
जातीं ये पगडंडियाँ।

मंदिर में या मस्जिद में
या फिर मन की उस जिद में,
मुड़ जाती हैं या फिर ये,
उस अथाह-से बारिद में।

जहाँ मान ले जाय तुम्हारा,
जातीं ये पगडंडियाँ।

२३ जून २०१४

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