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                  अनुभूति में राम सेंगर 
					की रचनाएँ-
 गीतों में-
 एक गैल अपनी भी
 किसको मगर यकीन
 धज
 बीजगुण
 पानी है भोपाल में
 रहते तो मर जाते
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					धज 
 नहीं दिये से फूल झरा
 आए न किसी को याद
 उड़ा प्रेम कविता का सारा
 रंग-रोगन-उन्माद
 
 पानी पी-पीकर
 करली है
 मुखरा हिचकी बन्द
 कोरा भाव धड़कता कैसे
 बिना रूप-रस-गंध
 
 भूतमोह सब, झूठमूठ की
 छवि का लगा प्रमाद
 
 ज्योतित होकर
 जो उभरा है
 इस प्रमाद को लाँघ
 ज़ज़्बे का सब उसे
 मान बैठा औरांगउटांग
 
 मुक्तिद्वन्द्व से विकसित धज यह
 नहीं ऊँट का पाद
 
 २६ सितंबर २०११
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