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सोम ठाकुर

जन्म- ५ मार्च १९३४ को आगरा में।
शिक्षा- हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि।

कार्यक्षेत्र-
अध्यापन एवं लेखन। कार्यजीवन का प्रारंभ आगरा में अध्यापन से। बाद में नेशनल कॉलेज भोगाँव में विभागाद्यक्ष के रूप में कार्य। १९८४ में त्यागपत्र देकर अमेरिका कैनाडा तथा मॉरीशस की लंबी यात्राएँ। २००४ में वापस लौटकर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कार्य तथा राज्य मंत्री का स्तर दिया। साढ़े तीन साल तक कार्य करने के पश्ताचात आगरा वापसी। संप्रति स्वतंत्र लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ-
गीत संग्रह- एक ऋचा पाटल को,
खंड काव्य- अभियान।

सम्मान व पुरस्कार-
१९९७ में उनकी पुस्तक ‘एक ऋचा पाटल को’ को निराला पुरस्कार, २००६ में यशभारती सम्मान, २००९ में दुष्यन्त कुमार अलंकरण। इसके अतिरिक्त भारतीय आत्मा पुरस्कार, कानपुर, डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' गीत पुरस्कार, उन्न्नाव, काका हाथरसी ट्रस्ट द्वारा ब्रजभाषा पुरस्कार, हाथरस, राष्ट्र भाषा परिषद मुंबई द्वारा महीयसी महादेवी वर्मा पुरस्कार, प्रगतिशील सांस्कृतिक, साहित्यिक मंच द्वारा सम्मानित, तथा अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक ,सामाजिक संस्थाओं के सम्मेलनों के अवसर पर सम्मानित।

 

अनुभूति में सोम ठाकुर की रचनाएँ—

गीतों में-
खिड़की पर आँख लगी
मन जंगल के हुए
प्रेमा नदी
सूर्यमुखी फूल
स्वर की तरंगें
वेला संवत्सरा
हवाएँ संदली हैं

संकलन में-
मेरा भारत- तिरंगा
         राष्ट्र देवता
         वंदन मेरे देश
मातृभाखा के प्रति- राजभाषा वंदन


 

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