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अनुभूति में सुरेन्द्र शर्मा की रचनाएँ—

नई रचनाओं में-
अंतिम पहर रात का
आओ ऐसा देश बनाएँ
पनघट छूट गया
बजता रहा सितार

गीतों में-
अरे जुलाहे तूने ऐसी
आँगन और देहरी

आरती का दीप
ओ फूलों की गंध
ओ मेरे गाँव के किसान
जिंदगी तुम मिली
जिंदगी गीत है
मन मंदिर में
राह में चलते और टहलते
सूत और तकली से


 

 

मन मंदिर में

मन मंदिर में
देव तुम्हारा हम आह्वान करें
प्राण प्रतिष्ठा करें तुम्हारी
नव-निर्माण करें

अवरोधों को
लाँघ गति का हम सम्मान करें
जीवन के सन्धि-पत्रों पर मधु-मुस्कान धरें
आज हलाहल पीकर जग का
हम कल्याण करें

स्पन्दन
जड़ में भरकर चेतन पाषाण करें
मन समवेत स्वरों में प्रतिपल अक्षरदान करे
स्नेह रश्मियाँ देकर जग को
नव दिनमान करें

नश्वरता को
त्याग भोग का हम परित्राण करें
उस अनन्त की ओर शून्य में हम प्रस्थान करें
प्रीत के स्वर में गाकर जग में
शुभ अभियान करें

२ जुलाई २०१२

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