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अनुभूति में सुरेन्द्र शर्मा की रचनाएँ—

नई रचनाओं में-
अंतिम पहर रात का
आओ ऐसा देश बनाएँ
पनघट छूट गया
बजता रहा सितार

गीतों में-
अरे जुलाहे तूने ऐसी
आँगन और देहरी

आरती का दीप
ओ फूलों की गंध
ओ मेरे गाँव के किसान
जिंदगी तुम मिली
जिंदगी गीत है
मन मंदिर में
राह में चलते और टहलते
सूत और तकली से

 

राह में चलते और टहलते

राह में चलते और टहलते
मैंने अपना गाँव लिखा
भरी भीड़ में पगडंडी पर
चलते नंगे पाँव लिखा

बूढ़ी दादी के अन्तस में
पलता एक खयाल लिखा
मंदिरसा पूजा घर अपना
मैंने अपनी ठॉंव लिखा

बादल की मनुहारें करता
गाता एक किसान लिखा
बरखा की आशा में चिट्ठी
लिखता सारा गाँव लिखा

बूढ़ा बरगद, पोखर-झरना
नदी किनारे नाव लिखा
माटी के टीलों पर चढ़ना
और फिसलना चाव लिखा

भाईचारे बीच पनती
रिश्तों की चौपाल लिखा
सुख दुःख में साथी सब अपने
कभी धूप कभी छाँव लिखा

तन को माटी का घर लिक्खा
जनम मरण के नाम लिखा
नदी किनारे ढलता सूरज
चलता उल्टे पाँव लिखा

२ दिसंबर २०१३

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