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                  डॉ. सरोजिनी प्रीतम 
                  
                   
                  जन्म- ६ सितंबर १९३९ को शिक्षा- हिन्दी साहित्य में एम-ए. ‘स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी 
					कहानी में नगर जीवन‘ विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
 
 कार्यक्षेत्र-
 लेखन, मंच-प्रस्तुतियाँ। सरोजिनी प्रीतम हँसिका नाम काव्य विधा 
					की प्रवर्तक हैं। उनकी हँसिकाओं ने १९७० से देश विदेश में 
					लोकप्रियता प्राप्त की है। उन्होंने १९७४ से धर्मयुग तथा 
					कादंबिनी में नियमित रूप से हँसिकाएँ स्तंभ लिखना प्रारंभ किया 
					जो धर्मयुग में १९८० तथा कादंबिनी में २००३ तक नियमित रूप से 
					जारी रहा। इसके बाद वे नवभारत समूह के सांध्य टाइम्स में काँटा 
					लगा स्तंभ में हँसिकाएँ लिखती रहीं।
 
 इसके अतिरिक्त वे हास्य व्यंग्य तथा संवेदनशील काव्य लेखन के 
					क्षेत्र में भीसक्रिय रही हैं। उन्होंने दूरदर्शन व अन्य 
					मन्त्रालयों के लिये विशिष्ट कार्यक्रमों का निर्माण भी किया 
					है।
 
 प्रकाशित कृतियाँ-
 हँसिका संग्रह- हँसिकाएँ ही हँसिकाएँ, मेरी प्रतिनिधि हँसिकाएँ
 हास्य-व्यंग्य संग्रह- चूहे और आदमी में फर्क, प्रतिनिधि हास्य 
					व्यंग संकलन, कोयल का है गला खराब,
 हास्य कथा संग्रह- इक्यावन श्रेष्ठ व्यंग्य कथाएँ, आखिरी 
					स्वयंवर, लाइन पर लाइन, छक्केलाल, डंक का डंक, लेखक के सींग, 
					आर्शीवाद के फूल, गिनतीलाल की छीक, उदासचन्द, पंखों वाला पेड़, 
					आफत की पुतले
 बाल सहित्य- मूसाराम की मूछें, प्रतिनिधि हास्य व्यंग्य बाल 
					कथाएं, चलना सीखो, अलटू पलटू की अक्षरमाला, सुबोध बाल गीत, 
					हँसों-हंसाओं, हे बुद्व लौटो तो
 
 हास्य उपन्यास- बिके हुए लोग, एक थी शान्ता, सनकी बाई शंकरी
 विज्ञान पर आधारित उपन्यास- अंधेरे की चट्टान
 
 पुरस्कार व सम्मान-
 हिन्दी अकादमी, तथा कामिल बुल्के सम्मान से सम्मानित।
 
 दूरदर्शन के लिये टेलीफिल्म- सैनिक की बेटी
 लंबी कविताएँ- सीता का महाप्रयाण
 
                  ईमेल-
					
					sarojinipritam@gmail.com  | 
                  अनुभूति में 
                  
                  सरोजिनी प्रीतम 
                  की रचनाएँ-
 
 नई हँसिकाओं में-
 सूली तथा अन्य हँसिकाएँ
 
                  हँसिकाओं में-कुछ और हँसिकाएँ
 तेरह हसिकाएँ
 दर्जी की हसिकाएँ
 बेहोश तथा अन्य हँसिकाएँ
 शैया तथा अन्य हँसिकाएँ
 सैनिकों के लिये दस हँसिकाएँ
 
 
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