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अनुभूति में अमित दुबे की रचनाएँ —

अंजुमन में—
इरादों का
खत में
बज्म थी तारों की
मेरी हर चीज में
समन्दर की लहरों सी

खत में

ख़त में जब से गुलाब आया है
लौट फिर से शबाब आया है

देख लो सज गए दीवारो–दर
घर मेरे कोई ख़्वाब आया है

अबके हो फैसला मेरे हक़ में
हाथ में इन्तखाब आया है

ज्ञान की रोशनी जली मुझमें
यों लगा आफ़ताब आया है

हो गये लाख रंग हसरत के
मेरा जोड़ा शहाब आया है

१० फरवरी २०१४

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