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अनुभूति में अमित दुबे की रचनाएँ —

अंजुमन में—
इरादों का
खत में
बज्म थी तारों की
मेरी हर चीज में
समन्दर की लहरों सी

मेरी हर चीज में

मेरी हर चीज में हिस्सा तुम्हारा है
कि नाजुक सा बड़ा रिश्ता हमारा है

सुहाने हैं सभी मौसम कि तुम जो हो
नहीं जो तुम तो फीका हर नज़ारा है

तुम्हारे साथ चलकर यों लगा हमको
कि अब दिल भी तुम्हारा बस हमारा है

सुनो वादा करो कोई सफ़र अब हो
हमारे बिन नहीं तुमको गँवारा है

सुनो हम बाँट लेंगे गम तुम्हारे सब
ख़ुशी तुम बाँट लेना जो हमारा है

१० फरवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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