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अनुभूति में अमित दुबे की रचनाएँ —

अंजुमन में—
इरादों का
खत में
बज्म थी तारों की
मेरी हर चीज में
समन्दर की लहरों सी

समन्दर की लहरों सी

समन्दर की लहरों सी है जिन्दगानी
कभी बर्फ गोला कभी बहता पानी

उदासी के बूटे जड़े हैं सभी में
हो तेरी कहानी या मेरी कहानी

बुढ़ापे में अब ताजपोशी मिले है
किसी काम की अब नहीं है जवानी

ये मौजें भी अब मुतमइन सी लगे हैं
नहीं है वो जज्बा नहीं वो रवानी

नवल ये नज़ारे बहुत दिलनशीं हैं
मगर मुझको भाती हैं चीजें पुरानी

१० फरवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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