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अनुभूति में आशीष श्रीवास्तव की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
कभी रोटी नहीं मिलती
बेताब तलाशों में
सन्नाटे की शहनाई
सीख गए

अंजुमन में--
आज बरसों हुए
गुमनाम मुसाफिर ग़ज़लों का
जैसे कभी अपना माना था
दिल को बचाना मुश्किल था

दरिया ज़रा धीरे चल

 

सीख गए

सर्द हवा से धोखा खाना सीख गए
ओस के मोती जमीं पे आना सीख गए

तेरी हिज्र का इतना तो अहसान हुआ
हम लोगों को अपना बनाना सीख गए

सूरज ने सीखा था जिस दिन ढल जाना
पंछी घर तक वापस आना सीख गए

मंसूबे नाकाम हुए जालिम के सब
हिन्दुस्तानी ईद मनाना सीख गए

दिल तेरी यादों से तौबा कर न सका,
लेकिन आँसू जश्न मनाना सीख गए

थी 'आशीष' खता वो कई किताबों जैसी
हम लम्हों में एक जमाना सीख गए 

१९ जनवरी २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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