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अनुभूति में ब्रजकिशोर वर्मा 'शैदी' की रचनाएँ-

अंजुमन में-
चुप था
जिस पर पैनी धार नहीं है
तुमने गर अपनाया होता
मुझको यह अहसास
सोच रहे सब

 

चुप था

चुप था कब से, क्या कहता
दुखड़ा सबसे, क्या कहता

आँखों से सब ज़ाहिर था
अपने लब से क्या कहता

पूछा उसने - 'आए हो
किस मतलब से?' क्या कहता

यों, वह मेरा दुश्मन था
मिला अदब से, क्या कहता

सब कुछ था मालूम उसे
फिर मैं रब से क्या कहता

साजिश थी हर लम्हें की
रोज़ों-शब से क्या कहता!

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