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अनुभूति में ब्रजकिशोर वर्मा 'शैदी' की रचनाएँ-

अंजुमन में-
चुप था
जिस पर पैनी धार नहीं है
तुमने गर अपनाया होता
मुझको यह अहसास
सोच रहे सब

 

सोच रहे सब

सोच रहे सब, पूछे कौन
इस घटना के पीछे कौन

सबके ही शीशे के घर
आखिर, पौधा सींचे कौन

फल खाने को बैठे सब,
लेकिन, आगे आए कौन

दीवाना सच कहता है
लेकिन उसकी माने कौन

चाकू सबके हाथों में,
सुलझाएगा झगड़े कौन

सबके सब ही हाकिम हैं,
हुक्म किसी का माने कौन!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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