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अनुभूति में डॉ मनोज श्रीवास्तव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अतीत
क्रिकेट का हवाओं के साथ खिलवाड़
स्वस्थ धुओं का सुख

अंजुमन में-
दिल्लगी
पत्थरों सा दिल
बिखरे हैं जो कचरे

मेरे गीतों में

 

मेरे गीतों में

मेरे गीतों में यही अनुताप है
धुंए की वह छोर क्यों अज्ञात है

धड़कनें दिल की यहाँ पुरजोर हैं
शहर का यह शोर भी पर्याप्त है

मिट्टियों के ज़हर से फसलें पकीं
ज़िंदगी में मौत का परिपाक है

सूर्य पाला से पड़ा बीमार है
धूप आंगन में पड़ी कृशगात है

अपने गुर्गे पल रहे परदेस में
हादसों का हो रहा आयात है

मौसमों की हो गई कायापलट
भावना का वृक्ष अब निष्पात है

११ अप्रैल २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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