विनोद तिवारी
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२ मई १९४१ को तत्कालीन नैनीताल (अब ऊधमसिंह नगर)
उत्तरांचल के महुआ डाबरा नगर में जन्म। हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि।
१९६२ से लेखन में रत। तीन ग़ज़ल संग्रह, एक किशोर
उपन्यास, एक बाल उपन्यास, दो बालगीत संग्रह, नवसाक्षरों के लिए तीन पुस्तकें
प्रकाशित। 'शिवं' मासिक का संपादन। आकाशवाणी के अनुबंधित गीतकार। विभिन्न संस्थाओं
द्वारा पुरस्कृत सम्मानित।
विगत २२ फरवरी २०११ को उनका निधन हो
गया। उनकी कुछ नई ग़ज़लें श्रद्धांजलि स्वरूप
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अनुभूति में विनोद
तिवारी
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
कुछ इस क़दर
चलते जाने का धर्म
ज़मीन पाँव तले
सड़कें भरीं
हर दिशा
में
अंजुमन में-
आपस में लड़कर
काल की तेज़ धारा
देखे दुनिया जहान
पल निकल जाएँगे
वे जो
फक्कड़ कबीर होते हैं
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