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कुछ इस क़दर
चलते जाने का धर्म
ज़मीन पाँव तले
सड़कें भरीं

हर दिशा में

अंजुमन में-
आपस में लड़कर
काल की तेज़ धारा
देखे दुनिया जहान
पल निकल जाएँगे

 

सड़कें भरीं

सड़कें भरीं जुलूस की आहो-कराह से
होते रहे सदन में बहस-औ-मुबाहसे

यह हादसा भी कोई भला हादसा हुआ
देखे हुए है देश खतरनाक हादसे

कुछ गालियों का ताप हवा में घुला-सा है
इक दिल-जला अभी-अभी गुजरा है राह से

शब्दों में आप-हम दो सगे भाइयों-से हैं
पर अर्थ कितना भिन्न है ज़ाहिर निगाह से

मुस्कान आपकी बहुत दिलकश लगी मगर
हम जानते हैं आपके दिल हैं सियाह -से

मतलब-परस्त पक्ष में थे या विपक्ष में
बाक़ी शरीफ़ लोग रहे ख़ाम-ख़्वाह-से

२८ फरवरी २०११

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