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मज़ा
मैं अगर लीडर बनूँ तो
शहर में हैं सभी अंधे
साथ तुम्हारा कितना प्यारा

 

 

मज़ा

आज क्या हो रहा है
और
क्या होने वाला है?

इसे देखकर
जान-समझकर
परेशान हैं कुछ
और
खुश होने वाले भी अनेक।

मज़े उन्हीं के हैं
जिन पर
इन चीज़ों का
असर नहीं पड़ता।

वे जानते हैं
जो होना है
वो तो होना ही है
और
हो भी रहा है
तो फिर
बेवजह बेकार की
माथा-पच्ची करने से
क्या लाभ?

9 जुलाई 2007

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