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मज़ा
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शहर में हैं सभी अंधे
साथ तुम्हारा कितना प्यारा

 

 

पानी रे पानी

जाग रहे पानी को भाग रहे पानी को
पानी तो याद कराए भूली हुई नानी को
याद है क्या?

पानी ही जीवन है पानी है रोग
इस रोग को पाने को भागे हैं लोग
पागल हैं क्या?

पानी ही जीवन या जीवन है पानी
पानी की कविता है पानी की कहानी
कवि है क्या?

उतरा है जिसकी आँखों का पानी
डूबने को चाहिए बस चुल्लू भर पानी
मिले तब न?

पानी है पोखर है पानी है गागर है
पानी है नदिया है पानी है सागर है
सच तो है?

पानी है इज़्ज़त है पानी पर हुज़्ज़त है
पानी का झगड़ा है पानी का रगड़ा है
लफड़ा है न?

देर से खड़े हैं पानी को पाने को
होती है रोज़ देर ऑफ़िस को जाने को
क्या करें तो?

पानी में तरंग है या पानी ही तरंग है
पानी का यारो नहीं होता कोई रंग है
होली है न?

9 जुलाई 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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