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अनुभूति में बृजेश कुमार शुक्ल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
तारों के जाल
मधुर गर्जना

संकलन में-
वर्षा मंगलमेघदूत

गाँव में अलाव अलाव, कोमल गीत
होली होली के अदोहे, क्षणिकाएँ
प्रेम गीत –
प्रिय मिलन
गुच्छे भर अमलतास– गर्मी दो शब्द चित्र, गर्मी है अनमोल व रेत पर विश्राम
पिता की तस्वीर– सतत नमन
ज्योति पर्व– रंगरलियाँ

क्षणिकाएँ-
गर्मी की शाम,पनघट, अचानक, छाँव में, गर्मी में, वर्षा, पहली फुहार, बिजलिया

  मधुर गर्जना

बिन मधुर गर्जना व्याकुलता छायी
उष्मता ने पाँव पसारे ली अँगडाई।
बीत गयी सब विरह की बानी
जब काले मेघों ने बरसाया पानी।
मेघों की रिमझिम शीतल फुहारें
कलरव करती बूँदे सावन संग।
धरा पर फैलने लगा धानी रंग
भीगते तन हो रहे बेसुध संग संग।
सावन घटा सघन बरसती है
मन आँगन की अमराई में।
मोरों का नृत्य हवाओं की लहर
भेद रही मन का अवसाद।
इन्द्रधनुषी रंगो की आभा बिखेरती
बीते क्षणों के एक एक पल कुरेदती।
मेघों की अठखेलियों से शान्त हो रही ज्वाला
भर भर लाती मृदु शीतल जल का प्याला।
हरियाली बिखेरती हर्षाती गुदगुदाती
जब मधुर गर्जना वापस आती।

 

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