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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

 

  आस न छोड़ो

(१)
गर्व करें किस पर यहाँ, किस पर करें विमर्श
आधा है यह इंडिया, आधा भारतवर्ष

(२)
पानी ही पानी रहा, जिनके चारों ओर
प्यास-प्यास चिल्ला रहे, वहीं लोग पुरज़ोर

(३)
दुर्योधन-सा वक्त यह, बोल रहा अपशब्द
वहीं हमारे सूरमा, बैठे हैं नि:शब्द

(४)
ये आए या वो गए, सबने चूसा खून
कौन गड़रिया छोड़ता, किसी भेड़ पर ऊन

(५)
आज़ादी के नाम पर, करते नए प्रयोग
नई गुलामी की तरफ, भाग रहे हैं लोग

(६)
पुलिस पकड़ कर ले गई सिर्फ उसी को साथ
आग बुझाने में जले, जिसके दोनों हाथ

(७)
जनता इस जनतंत्र में बेबस और अनाथ
छोड़ दिया है जिल्द ने फिर किताब का साथ

(८)
भूख गरीबी की उसे, क्या होगी पहचान
महलों में पैदा हुआ, हर युग का भगवान

(९)
यारों इस बाजार का, अब है यही यथार्थ
रिश्ते पीछे रह गए, आगे निकला स्वार्थ

(१०)
ऐसी आई देश में, एक विदेशी बाढ़
डूब गई पहचान सब, बहे पुराने झाड़

२३ मार्च २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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