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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

कविताओं में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

  तू भूख प्यास जुल्म

तू भूख, प्यास, जुल्म की न बात कर अभी
टेलीविजन पे ठहरी है मेरी नज़र अभी

फुर्सत मिले जहान के सुख से तो जानना
छोड़ो भी, क्या करोगे, मुझे जानकर अभी

साँसें बचा के रख, तू अभी इंतजार कर
दिन भर का कैश गिन रहा है डॉक्टर अभी

हैरत है, आप हँस रहे हैं, ऐसे हाल में
लगता है, कि हालात से हैं, बेखबर अभी

बस इसलिए कि जश्न में पड़ जाए न ख़लल
‘‘माँ चल बसी’’ ये दाब रखी है ख़बर अभी

मैं हूँ किताब, पढ़ना मुझे फिर कभी ‘‘समीप’’
इसका तू सिर्फ देख नया ये कवर अभी

९ अप्रैल २०१२



 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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