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सड़क के बीच
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सुख
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सड़क के बीच

सड़क के बीच खड़ा आदमी
छाते का साया करके
बेचैन बैठा है
एक्वेरियम...!

गर्मी खूब है, अकुलाती है
इंसान को,
उसके मन को...

दाह-सभर शाम के बाद का
धीमा, मीठा, ठंडा पवन
बहता है...
और
उसके स्वेद की गंध महक उठती है,
फैलती है चारों ओर
फिर तो...

किसी के घर में चूल्हा सुलग उठता है
वह आश्वस्त है...
और
मन झोंका लगाता है,
याद आता है उसे
तालाब की मेड़ पर ठंडे पवन की
लहर में
बरगद की शाखाओं के सहारे
साक्षात वह...!

१३ अक्तूबर २००८

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