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अनुभूति में प्रताप नारायण सिंह  की रचनाएँ-

लंबी रचना-
रौद्र रूद्र

छंद मुक्त में-
अभिशप्त
एक पल में स्वप्न
कब तक फिरोगे भटकते
जीवन की किताब
तुम्हारी प्रतीक्षा में
बस इतना ही करना
बदलाव
 

  बदलाव

बचपन में सुनी थी एक कहानी
दादी माँ की जुबानी
बहुत समय पहले घने जंगलों में
दो पैरों वाले भयानक जीव रहा करते थे
लोग उन्हें राक्षस कहा करते थे
शरीर तो आदमी जैसा होता था
पर दाँत बड़े, बड़े नाखून और सर पर सींग होता था
जब कभी वे आदमी को पाते थे
मारकर खा जाते थे
मैंने सोचा कितना अच्छा है अब
राक्षस सारे मर गए
आदमी के दिलों से उनके डर गए
परन्तु
जब बड़ा हुआ तो पता चला
राक्षस मरे नही वे आदमी की शक्ल में बदल गए हैं
अब जंगल छोड़, नगर में आकर बस गए हैं।

२ फरवरी २००९

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