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                      अनुभूति में
                      प्रियंकर पालीवाल की रचनाएँ-  
						 
                      छंदमुक्त में- 
						अटपटा छंद 
                      
						इक्कीसवीं सदी की रथयात्रा 
						तुम मेरे मन का कुतुबनुमा हो 
						प्रतीत्य समुत्पाद 
                      
						वृष्टि-छाया प्रदेश का कवि 
						सबसे बुरा दिन  | 
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						अटपटा छंद 
						 
						भारतवर्ष उदय 
						भारतीयता अस्त 
						रोयां-रोयां कर्जजाल में 
						नेता-नागर मस्त 
						 
						ब्रह्मज्ञानी बिरहमन 
						इश्क-दीवाना दरवेश 
						बाज़ार का बाना 
						साधू का वेश 
						 
						जनेऊ से कमर का खुजाना 
						मोरछल से लोबान का उड़ाना 
						मोबाइल पर नए क्लाइंट से बतियाना 
						 
						जगत सत्यं ब्रह्म मिथ्या 
						घृतम पिवेत ऋणम कृत्वा 
						उधार प्रेम का फ़ेवीकोल 
						बीच बाज़ारे हल्ला बोल 
						 
						द ग्रेट इंडियन शादी-बाज़ार 
						कन्या में डर 
						माथे पर प्राइस टैग 
						सजे-धजे वर 
						 
						बनी की अंखियाँ सुरमेदानी 
						बनी का बाप कुबेर 
						थाम हाथ में स्वर्ण-पादुका 
						दूल्हे को ले घेर 
						 
						नदिया गहरी 
						नाव पुरानी 
						बरसे पैसा 
						नाच मोरी रानी 
						 
						बीच भँवर में बाड़ी 
						बाड़ी में बाज़ार 
						चौराहे पर चारपाई 
						आंगन में व्यापार 
						अपलम-चपलम गाड़ी 
						बैकसीट पर प्यार 
						 
						माया ठगिनी रूप हज़ार 
						लंपट तेरी जयजयकार 
						आजा मेरे सप्पमपाट 
						मैं तनै चाटूँ तू मनै चाट 
						 
						देवल चिने अजुध्या नगरी 
						मन का मंदिर सूना 
						घट-घट वासी राम के 
						अंतर को दुख दूना । 
						२९ अगस्त २०११  |