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अनुभूति में प्रियंकर पालीवाल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अटपटा छंद
इक्कीसवीं सदी की रथयात्रा
तुम मेरे मन का कुतुबनुमा हो
प्रतीत्य समुत्पाद
वृष्टि-छाया प्रदेश का कवि
सबसे बुरा दिन

सबसे बुरा दिन

सबसे बुरा दिन वह होगा
जब कई प्रकाशवर्ष दूर से
सूरज भेज देगा
‘लाइट’ का लंबा-चौड़ा बिल
यह अंधेरे और अपरिचय के स्थायी होने का दिन होगा

पृथ्वी माँग लेगी
अपने नमक का मोल
मौका नहीं देगी
किसी भी गलती को सुधारने का
क्रोध में कांपती हुई कह देगी
जाओ तुम्हारी लीज़ खत्म हुई
यह भारत के भुज बनने का समय होगा

सबसे बुरा दिन वह होगा
जब नदी लागू कर देगी नया विधान
कि अबसे सभ्यताएँ
अनुज्ञापत्र के पश्चात ही विकसित हो सकेंगी
अधिकृत सभ्यता-नियोजक ही
मंजूर करेंगे बसावट और
वैचारिक बुनावट के मानचित्र
यह नवप्रवर्तन की नसबंदी का दिन होगा

भारत और पाकिस्तान के बीच
विवाद का नया विषय होगा
सहस्राब्दियों से बाकी
सिंधु सभ्यता के नगरों को आपूर्त
जल के शुल्क का भुगतान

मुद्रा कोष के सँपेरों की बीन पर
फन हिलाएँगी खस्ताहाल बहरी सरकारें
राष्ट्रीय गीतों की धुन तैयार करेंगे
विश्व बैंक के पेशेवर संगीतकार
आर्थिक कीर्तन के कोलाहल की पृष्ठभूमि में
यह बंदरबाँट के नियम का अंतरराष्ट्रीयकरण होगा

शास्त्र हर हाल में
आशा की कविता के पक्ष में है
सत्ता और संपादक को सलामी के पश्चात
कवि को सुहाता है करुणा का धंधा
विज्ञापन युग में कविता और ‘कॉपीराइटिंग’ की
गहन अंतर्क्रिया के पश्चात
जन्म लेगी ‘विज्ञ कविता’
यह नई विधा के जन्म पर सोहर गाने का दिन होगा

सबसे बुरा दिन वह होगा
जब जुड़वाँ भाई
भूल जाएगा मेरा जन्म दिन
यह विश्वग्राम की
नव-नागरिक-निर्माण-परियोजना का अंतिम चरण होगा।

२९ अगस्त २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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