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अनुभूति में संतोष गोयल की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
आज का सच
गर्मी का मौसम
चक्रव्यूह
जादुई नगरी में
जो चाहा
बच्चों ने कहा था
मरना
मेरा वजूद
युद्ध
साँस लेता इंसान

क्षणिकाओं में
फैसला
प्यास

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास- पतझर

  युद्ध

आज भी है
वही आदिम युग
आक्रान्ताओं का आना
घोड़े पर सवार होकर
रौंदना हर खुशहाली को
फिर अपनी ताकत
और दूसरों के विनाश पर
करना अट्टहास।
कहाँ खत्म हुए हैं
खूँखार और बर्बर चेहरे
आक्रमणकारियों के
मकसद भी वही है।
जला देना चन्दन के जंगलों को
और टूटे फूटे देश में पैदा करना
एक जमात भयभीत और दुखी लोगों की।
पता नहीं
शान्ति का चेहरा कैसा होता है
शायद हाथ पर बँधा ताबीज मात्र
जिसे बाँध कर समझते है  हम
खुद को सुरक्षित।
पर
सब जानते हैं
ताबीजों से नहीं कटती ज़िन्दगी
जीने के लिये जुटानी होती है
बहुत सी ताकत और साहस।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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